मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं कपीश्वर ओम् ऐं ह्रीं हनुमते रामदुते लंकविधवंसने अंजनी गर्भ सम्भुतय शकिनि डाकिनी विध्वंसनाय किलकिली बुबुकरेन विभीषण हनुमददेवय ओम ह्रीं ह्रीं हं फट् स्वाहा लङ्केस्वर भए सब जग जाना ॥१७॥ जुग सहस्र जोजन पर भानु । नासै रोग हरे सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा हनुमान यात्नमास्ताया दु:ख https://vashikaran-totke17023.blogchaat.com/35652751/not-known-details-about-hanuman-mantra